थार्नडाइक — प्रयास तथा त्रुटि का सिद्धांत

थार्नडाइक — प्रयास तथा त्रुटि का सिद्धांत

प्रयास तथा त्रुटि सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक हैं। सीखने में यह सिद्धांत भी अपना विशेष महत्व रखता है। थार्नडाइक का विश्वास है कि चूहे तथा बिल्ली की तरह बालक भी प्रयास और त्रुटि के द्वारा ही सीखते हैं। बालक इस सिद्धांत के अनुसार चलना, बोलना तथा भोजन करना सीखते हैं।

सिद्धांत का सार — 

इस प्रकार के सीखने को हम सफल प्रतिक्रियाओं के चुनाव के द्वारा सीखने की विधि भी कहते हैं।

इस सिद्धांत का स्पष्टीकरण इस प्रकार से किया जा सकता है —

 जब कोई व्यक्ति कोई कार्य करना सीखता है तो उसमें शुरुवात में त्रुटियां होती हैं परंतु बार-बार प्रयत्न करने पर व्यक्ति उसे करना सीख जाता है और यही 'प्रयास और त्रुटि' से सीखना कहलाता है।

वुडवर्थ के अनुसार — प्रयास और त्रुटि के अंतर्गत किसी नवीन कार्य को सीखने के लिए अनेक प्रयत्न करने पड़ते हैं जिनमें से अधिकांश गलत होते हैं।

थार्नडाइक का प्रयोग —

प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक हैं। इन्होंने प्रयोग किया बिल्ली पर। एक बिल्ली पकड़ी और उसे भूखा रखा इस भूखी बिल्ली को पिजड़े में बंद कर दिया। पिंजड़े में एक खटका (लीवर) था जिसके दबाने से पिंजड़े का दरवाजा खुलता था क्योंकि बिल्ली भूखी थी अतः वह बाहर आना चाहती थी उसने बाहर आने के लिए अनेक प्रयत्न किए। अंत में वह अपने प्रयास में सफल हो गई बिल्ली बिना किसी प्रकार की भूल किए बिना पिंजड़े का दरवाजा खोलना सीख गई। इस प्रकार बिल्ली का सिखना प्रयास और त्रुटि के सिद्धांत के आधार पर संभव हुआ।

प्रयास और त्रुटि के सिद्धांत के गुण — इस सिद्धांत के निम्नलिखित गुण हैं —

  • इसके द्वारा सीखने से बालक आशावादी बनते हैं।
  • इसके द्वारा जो ज्ञान अर्जित किया जाता है वह अस्थाई रहता है।
  •  मंद बुद्धि के बालक इसी सिद्धांत से सीखते हैं।
  • यह उन त्रुटियों की ओर संकेत करता है जिनसे लाभ उठाया जा सकता है।
  • इसका सीखने की प्रक्रिया में विशेष महत्व है।
  • इसके अनुसार सीखने से बालक परिश्रमी बनते हैं।
  • उनमें धैर्य रखने की भावना उदय होती है।
  • यह गणित, विज्ञान तथा समाजशास्त्र जैसे विषयों के सीखने के लिए विशेष उपयोगी होता है।

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थार्नडाइक ने प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत के प्रस्तावक ने अधिगम के तीन प्राथमिक नियम विकसित किए हैं जो विकास की ओर ले जाते हैं —

1. अभ्यास का नियम — यह लंबी अवधि के लिए कुछ सीखने के लिए अभ्यास पर आधारित है। यह अनिवार्य रूप से दो नियमों का गठन करता है – 
1- उपयोग का नियम  2 – अनुपयोग का नियम।
पहला दोहराव द्वारा उद्दीपक (कारण) और अनुक्रिया (व्यवहार) के संबंध की मजबूती से संबंधित है।

2. तत्परता का नियम — यह कुछ नया सीखने के लिए उत्सुकता और जिज्ञासा की परिमाण को संदर्भित करता है।
इसका तात्पर्य है कि यदि आप कुछ सीखने के लिए तैयार नहीं हैं, तो अब आप इसे प्रभावी ढंग से नहीं सीख सकते।

3. प्रभाव का नियम — यह सीखने के अनुभव को शिक्षार्थियों के लिए सुखद बनाने के लिए प्रेरणा और पुनर्बलन पर आधारित है। इसका तात्पर्य यह है कि यह उन चीजों को सीखने की हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है जो हमें खुशी और संतुष्टि देती है।




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