हिंदी भाषा का इतिहास

हिंदी भाषा का इतिहास

भारत यूरोपीय कुल की भाषाओं का वैज्ञानिक अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि यूरोपीय कुल की भाषाओं को बोलने वाले पूर्वज किसी युग में एक ही स्थान पर रहते थे तथा विभिन्न समयावधि में उन्हें उनके समूह भिन्न-भिन्न स्थानों में फैल गए। सन 1870 ई• में अस्कोली नामक विद्वान ने लैटिन और अवेस्त ध्वनियों का तुलनात्मक अध्ययन करने के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला कि मूल भारोपीय भाषा के कंण्ठय ध्वनियां कुछ शाखाओं में कंण्ठय और कुछ में संघर्षी (श, स, ज) रूप में परिवर्तित होकर विद्यमान हैं, फ्रान ब्रेडके नामक विद्वान ने इन दोनों वर्गों को शतम और केण्टुम वर्ग में विभाजित कर दिया, इस प्रकार हिंदी भारोपीय परिवार की भारत- ईरानी उपकुल की शतम उपशाखा के अंतर्गत आती है, इस उपकुल की जो शाखा भारत में रही उससे भारतीय आर्य भाषाओं का विकास हुआ।

आधुनिक भारतीय आर्य भाषा (गुजराती, हिंदी, मराठी, पंजाबी, हिंदी, असमी, बांग्ला, उड़िया) (1000 ई से अब तक) 

इस प्रकार आधुनिक आर्य भाषा के अंतर्गत हिंदी का उद्भव अन्य भारतीय आर्य भाषाओं पंजाबी, गुजराती, मराठी, सिंधी, असमी, बांग्ला, उड़िया के साथ हुआ इनके कालक्रम को कुछ इस प्रकार से विभाजित किया जा सकता है -

पुरातन काल - (500 ई• पू• तक) वैदिक संस्कृति व अलौकिक सहित

मध्यकाल - (500 ई• पू• से 1000 इसवी तक) पाली, प्राकृत, अपभ्रंश

आधुनिक काल - (1000 ई• से अब तक) हिंदी तथा अन्य भारतीय आर्य भाषाएं

 प्रथम सदी आते-आते सामान्य अभिव्यक्ति की भाषा में परिवर्तन हुआ यह परिवर्तन प्राकृत भाषा के नाम से जाना गया, इस कालखंड के दौरान कई क्षेत्रीय बोलियां भी प्रचलन में थीं, इनमें मुख्य शौर-सेनी, पैशाची, ब्राचल, महाराष्ट्री, मागधी और अर्ध मागधी थीं, प्रकृति से ही विभिन्न रूपों में आपभ्रंशों का उद्भव व विकास हुआ।

अपभ्रंश        -                 बोलियां

शौरसेनी       -      पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, खड़ी बोली, गुजराती, पहाड़ी, ब्रजभाषा,

पैशाची         -     लहरदार, पंजाबी 

ब्राचड          -      सिंधी 

महाराष्ट्री       -      मराठी 

मागधी         -      बिहारी बांग्ला उड़िया असमिय 

अर्ध-मगाधी   -     पूर्वी हिंदी, अवधी, बोघली, छत्तीसगढ़ी 

खस             -     पहाड़ी कुमायूँनी, गढ़वाली


  • आकृति या रुप के आधार पर हिंदी वियोगात्मक विश्लिष्ट भाषा है। 
  • भाषा परिवार के आधार पर हिंदी भारोपीय परिवार की भाषा है। 
  • भारत में 4 भाषा परिवार – भारोपीय, द्रविड़, आस्ट्रिक व चीनी-तिब्बती मिलते हैं भारत में बोलने वालों के प्रतिशत के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा भाषा परिवार है।


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