जंतुओं का वर्गीकरण (Classification of Animal Kingdom)

सामान्य विज्ञान

जंतुओं का वर्गीकरण (Classification of Animal Kingdom)

Post author: Ajay Mars ( Ajay Ku... )

Post published: सितंबर 10, 2021

Post category: सामान्य विज्ञान

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जंतुओं का वर्गीकरण (Classification of Animal Kingdom) —


जंतुओं का वर्गीकरण (Classification of Animal Kingdom) – विश्व भर में पायी जाने वाली असंख्य जीव जंतुओं की जातियों व प्रजातियों को अध्ययन व विश्लेषण के लिए कुछ भागों में बाँटा गया है। जीव जंतुओं की तमाम जातियों व प्रजातियों के प्रमुख लक्षण, विशेषताओं और उनमें भेद को उदाहरण सहित इस पोस्ट में समझाया गया है। संसार के समस्त जीव-जंतुओं को 10 वर्गों में विभाजित किया गया है। सभी एक कोशिकीय जीवों को संघ प्रोटोजोआ में रखा गया है। जबकि बहुकोशिकीय जीवों को 9 संघों में विभाजित किया गया है।

एक कोशिकीय के अंतर्गत संघ प्रोटोजोआ आता है –

प्रोटोजोआ संघ –

संसार में पाए जाने वाले समस्त एक कोशिकीय जीवों को इसी संघ में रखा गया है।

• इनका शरीर सिर्फ एक ही कोशिका का बना होता है।

• इनके जीवद्रव्य में एक या अनेक केन्द्रक पाए जाते हैं।

• इस संघ के सदस्य परजीवी और स्व जीवी दोनों प्रकार के होते हैं।

उदाहरण – यूग्लीना, अमीबा, पैरामीशियम।


बहुकोशिकीय के अंतर्गत 9 संघ क्रमशः इस प्रकार से हैं –

आर्थोपोडा संघ –

• इनके पाद संधि-युक्त होते हैं।

• रुधिर परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार से होता है।

• इनकी देहगुहा हीमोसील कहलाती है।

• इनका श्वसन ट्रेकिया गिल्स, बुक लंग्स, सामान्य सतह आदि के माध्यम से होता है।

• प्रायः ये एकलिंगी होते हैं और निषेचन शरीर के अंदर होता है।

उदाहरण – मक्खी, मच्छर, मधुमक्खी, टिड्डा, तिलचट्टा, खटमल, केकड़ा, कूटक / चिंगट / झींगा मछली, बिच्छू , सहस्त्र पाद / गिजाई, शत्पाद / कनखजूरा।


मोलस्का संघ –

इन जंतुओं में श्वसन गिल्स या टिनीडिया  से संपन्न होता है।

• इनमे सदैव कवच उपस्थित रहता है।

• आहार नाल पूरी तरह से विकसित रहती है।

• इस वर्ग के जीवों का रक्त रंगहीन होता है।

• इनमे उत्सर्जन वृक्कों के द्वारा होता है।

उदाहरण – घोंघा, सीपी, स्किवड।


पोरिफेरा संघ –

इस संघ के जंतु खारे पानी में पाए जाने वाले जीव हैं।

• इनके शरीर पर असंख्य छिद्र पाए जाते हैं।

• ये जीव बहु कोशिकीय होते हैं।

• शरीर में एक गुहा (स्पंज गुहा) पायी जाती है।

उदाहरण – स्पंज / 
यूस्पंजियास्पंजिला, साइकाॅन / स्काइफा, मायोनिया, ल्यूकोसोलीनिया, यूप्लेक्टेला।


प्लैटीहेल्मिन्थीज संघ –


इन जीवों में पाचन तंत्र विकसित नहीं होता।

• इनमे उत्सर्जन फ्लेम कोशिकाओं द्वारा होता है।

• इनमे कंकाल, श्वसन अंग, परिवहन  अंग आदि की अनुपस्थिति होती है।

• ये उभयलिंगी जंतु होते हैं।

उदाहरण – फीताकृमि, प्लेनेरिया, फैशिओला, यकृतकृमी / यकृत 
फ्लूक।


निमैथेल्मिन्थीज / निमैटोडा संघ –


ये जीव एकलिंगी होते हैं।

• स्पष्ट आहार नाल एवं मुख व गुदा दोनों उपस्थित होते हैं।

• ये लम्बे, बेलनाकार व अखंडित कृमि होते हैं।

• इनमे उत्सर्जन प्रोटोनफ्रीडिया द्वारा होता है।

उदाहरण – गोलकृमि जैसे – एस्केरिस, थ्रेडवर्म, वुचरेरिया।



एनीलिडा संघ –

इनमे प्रचलन मुख्यतः काइटन की बनी सीटी द्वारा  होता है।

• इनमे श्वसन सामान्यतः त्वचा के माध्यम से होता है परन्तु कुछ जंतुओं में क्लोम के द्वारा होता है।

• इनमे आहार नाल पूरी तरह से विकसित पायी जाती है।

• इनका रुधिर लाल होता है।

• इनका उत्सर्जी अंग वृक्क होता है।

• इस वर्ग के जीव एकलिंगी व उभयलिंगी दोनों होते हैं।

उदाहरण – केंचुआ, जोंक, नीरीस।


इकाइनोडर्मेटा संघ-

इस संघ के सभी जंतु समुद्री होते हैं।

• इनमे जल संवहन तंत्र पाया जाता है।

• तंत्रिका-तंत्र में मस्तिष्क विकसित नहीं होता।

• पुनरुत्पादन की विशेष क्षमता पायी जाती है।

उदाहरण – तारामंडल / स्टार फिश, समुद्री अर्चिन, समुद्री खीरा, ब्रिटिल स्टार।



सीलेन्ट्रेटा (Coelenterata) –

 इसके प्राणी जलीय द्विस्तरीय होते हैं।

• भोजन आदि पकड़ने  हेतु मुँह के आस-पास धागे जैसी संरचना पायी जाती है।

उदाहरण – हाइड्रा, जेलीफिश, मूँगा, 
फाइसेलिया, समुंद्री 
ऐनीमाॅन 
मेट्रीडियम



कार्डेटा / पृष्ठवंश संघ –


द्विपार्श्वी एवं ड्यूटरोस्टोमी यूसीलोमेट यूमेटजोआ जीवन भर या भ्रूण में शरीर को सहारा देने हेतु, एक लंबी लचीली व दृण अंतः कंकाल छड़ पृष्ठरज्जू या नोटोकार्ड की उपस्थिति एक मूल लक्षण होती है।

• मछलियां, मेंढक, छिपकली, सर्प, पक्षी, चूहे, मनुष्य, पालतू पशु आदि कार्डेटा ही होते हैं।

• पेशीयुक्त ह्रदय होता है।

• पृथक पाचन ग्रंथियां भी होती हैं।

• उत्सर्जन वृक्कों द्वारा होता है।

उदाहरण – डॉग फिश, रोहू मछली / लिबिया रोहिता,  दरियाई घोड़ा, वृक्षाश्रयी मेंढक टोड हायला , सामान्य भारतीय मेंढक टोड ब्यूफो, सामान्य भारतीय मेंढक राना टिग्रिना, कछुआ, छिपकली, भारतीय साँडा - यूरोमैस्टिक्स, भारतीय गोह - वैरैनस, वाइपर सांप, कोबरा सांप, दो मुंहे सांप, कबूतर, गौरैया, गिलहरी, चमगादड़, चूहा, ग्वाइनापिग।



ऊपर जो जंतुओं का वर्गीकरण (Classification of Animalia) दिया गया है, इससे सम्बंधित कई प्रकार के प्रश्न बनते हैं।


जंतु वर्गीकरण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य –

हाइड्रा, जेलीफिश व मूंगा किस संघ के अंतर्गत आते हैं – सीलेण्ट्रेटा संघ

• किस जंतु के जीवद्रव्य में हीमोग्लोबिन का विलय होता है – केंचुआ 

• केचुएं में कितने ह्रदय पाते जाते हैं – चार जोड़ी 

• काक्रोच के ह्रदय में कितने कक्ष होते हैं – 13 कक्ष 

• कीटों में कितने पाद होते हैं – 6

• कीटों के कितने पंख होते हैं – चार 

• कौनसा सामाजिक जंतु श्रम विभाजन प्रदर्शित करता है – 
चींटी 


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